Monday 29 August 2011

बीसीसीआई भंग, सरकार संभालेगी भारतीय क्रिकेट

दिल्ली. इंग्लैंड दौरे पर भारतीय टीम के लगातार ख़राब प्रदर्शन से नाराज़ केंद्र सरकार ने बीसीसीआई को तगड़ा झटका देते हुए भारतीय क्रिकेट को सीधे अपने नियंत्रण में ले लिया है। अब से टीम सलेक्शन से लेकर क्रिकेट टीम की कमाई से जुड़े सारे अधिकार केंद्र सरकार के पास होंगे। खेल मंत्री अजय माकन के मुताबिक क्रिकेट में हाल-फिलहाल जितना पैसा आया है, उसके बाद बीसीसीआई इसे ठीक से संभाल नहीं पा रही थी...आईपीएल में सामने आई वित्तीय गड़बड़ियां इसका सबूत हैं...लिहाज़ा सरकार ने तय किया है कि अब से बीसीसीआई का सारा कामकाज खेल मंत्रालय संभालेगा और भारतीय क्रिकेट टीम का चयन भी सीधे केंद्रीय कैबिनेट के द्वारा किया जाएगा।
नेताओं को मिलेगा टीम में तैंतीस फीसदी आरक्षण
भविष्य में होने वाले बदलावों के बारे में माकन ने कहा  "सबसे पहले तो हम क्रिकेट को राजनीतिक स्थिरता के लिए एक टूल के तौर पर इस्तेमाल करेंगे। गठबंधन सरकारों के दौर में ये संभव नहीं होता कि गठबंधन के सभी सहयोगियों के सांसद केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह बना पाएं। लिहाज़ा भारतीय टीम में सांसदों को तैंतीस फीसदी आरक्षण दे दिया गया है। यानी तीन से चार सांसद हर टीम में चुने जाएंगे। ऐसे नेता खिलाड़ियों को केंद्रीय मंत्री के बराबर दर्जा मिलेगा। पूरी टीम भले ही होटल से स्टेडियम तक बस में आए मगर ये खिलाडी अपनी लाल बत्ती की गाडी में आएंगे। चूंकि बीसीसीआई का अपना रसूख है इसलिए हम क्रिकेट खेलने वाले बाकी देशों को आगाह करेंगे कि बल्लेबाजी के दौरान इन नेता खिलाड़ियों को सिर्फ अंडर आर्म बॉ़ल ही फेंकें। जब ये गेंदबाज़ी करें तो भूलकर भी इनकी गेंद पर चौके-छक्के न लगाएं। प्राइवेट कम्पनियों पर तो हमारा ज़ोर नहीं है मगर हमारी कोशिश रहेगी कि 'पल्स पोलियो' से लेकर 'सर्वशिक्षा अभियान' जैसे तमाम सरकारी विज्ञापनों में इन्हीं को काम दिया जाए।
Dhoni
धोनी जीत को सोनिया और राहुल के कुशल नेतृत्व की देन बताते नज़र आएंगे

कप्तान करेगा सतारूढ़ दल का प्रचार
कप्तान का ज़िक्र करते हुए माकन ने कहा उसका अपना प्रभाव क्षेत्र होता है। लिहाज़ा हम चाहेंगे कि उसके प्रभाव क्षेत्र का फायदा हम चुनाव क्षेत्र में उठाए। इसलिए तय हुआ है कि नगर निगम से लेकर लोकसभा तक के चुनावों में, जहां भी सतारूढ़ दल का उम्मीदवार चुनाव मैदान में होगा, कप्तान को उसके प्रचार के लिए वक़्त निकालना ही होगा। लोकसभा चुनावों से दो महीने पहले और एक महीने बाद तक कोई क्रिकेट नहीं होगा। इस दौरान पूरी क्रिकेट टीम सतारूढ़ दल का प्रचार करेगी। वैसे भी लगातार क्रिकेट खेलना किसी के लिए संभव नहीं है। इसी बहाने उन्हें कुछ आराम मिलेगा और उनकी राजनीतिक समझ बढ़ेगी। क्या पता कल को उन्हीं मे से कोई सिद्दू या कीर्ति आजा़द की तरह सांसद बन जाए।
धन्यवाद भाषण
आख़िर में श्री माकन ने ये भी जोड़ दिया कि मैच भले ही किसी भी खिलाड़ी की वजह से जीता जाए मगर कप्तान को कहना यही होगा कि ये हमारी नहीं, सोनिया और राहुल गांधी के कुशल नेतृत्व की जीत है। उनके कुशल मार्गदर्शन के बिना ये संभव नहीं होता।  इस पर जब एक पत्रकार ने पूछा और मैच हारने पर क्या इसका ज़िम्मा स्टेट यूनिट पर डाला जाएगा, सवाल में बिहार चुनावों का संदर्भ पा माकन ने फौरन हाथ खड़ा कर कह दिया...नो मोअर क्वेश्चन प्लीज़!
वहीं फेकिंग न्यूज़ को इस बात की भी जानकारी लगी है कि ये तो शुरूआत भर है अगर क्रिकेट टीम के कब्ज़े का प्रयोग सफल रहता है तो हॉकी से लेकर खो-खो, कबड्डी और वॉलीबॉल तक सभी खेलों पर सरकार यही नियम लागू कर देगी।

Sunday 14 August 2011

Manmohan Singh's secret letter to Anna Hazare

 

 

अण्णा के नाम मनमोहन सिंह का गुप्त ख़त

माननीय अण्णा जी,

नमस्कार!

समझ नहीं आ रहा कि क्या कहूं? क्योंकि सालों बाद ऐसा हो रहा है कि मैं अपनी तरफ से कुछ लिख रहा हूं। इससे पहले आखिरी ख़त कॉलेज़ के ज़माने में पिता जी से पैसे मंगवाने के लिए लिखा था। राजनीति में आने के बाद तो लिखा हुआ पढ़ने और बताया गया बोलने की आदत सी पड़ गई है। यहां तक कि लिखे हुए भाषण में प्रूफ की ग़लतियां तक अपनी मर्ज़ी से ठीक नहीं कर सकता।

खैर, आपने ख़त लिखकर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार की आलोचना की है और मुझसे हस्तक्षेप करने को कहा है। ऐसा कर जो इज्ज़त आपने मुझे बख्शी है उसके लिए मैं आपका आभारी हूं क्योंकि इससे लगता है कि आप अब भी मानते हैं कि मैं कुछ कर सकता हूं। आप एक ईमानदार और नेकदिल आदमी हैं इसलिए आज मैं आपसे दिल की कुछ बातें शेयर करना चाहता हूं।

पहली, आप लगातार कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में आना चाहिए। आप ऐसा क्यों कह रहे हैं? आप ही सोचिए कि अगर ऐसा हुआ तो मेरी क्या हालत होगी। मैं तो पहले ही मैडम के दायरे में हूं। ऊपर से अगर लोकपाल के दायरे में भी आ गया तो मेरा क्या हश्र होगा। तब तो मेरी और राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील की हालत एक जैसी हो जाएगी। जिनके पास पद तो होगा लेकिन कद नहीं।

दूसरा, आपकी और आपके समर्थकों की शिकायत है कि तीन दिन से ज़्यादा भूख हड़ताल पर बैठने नहीं दिया जा रहा। मेरा मानना है कि आप चाहे जितने दिन भूख हड़ताल पर बैठें। बस, ये मत कहिए कि हम जनलोकपाल बिल की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे हैं। वैसे भी हमें किसी के भूख से मरने की परवाह नहीं है, अगर होती तो क्या कभी ऐसा हो सकता था कि देश में हज़ारों लोग भूख से मरते रहते और सरकारी गोदामों में अनाज सड़ता रहता।

तीसरा, आप लगातार कह रहे हैं कि आपको अनशन से रोककर हम संविधान की अवहेलना कर रहे हैं। इस पर मैं इतना ही कहूंगा कि जिस देश में प्रधानमंत्री तक को स्कूल छोड़ने के साठ साल बाद भी दिन में दस बार पूछना पड़ता हो कि Madam, May I go to toilet? या आज नाश्ते में खिचड़ी खाऊं या दलिया,  उस देश में आप संविधान और मौलिक अधिकारों की बात कर रहे हैं।

कुछ व्यस्तता के चलते मैं ज़्यादा बात नहीं कर सकता। अभी मुझे इटैलियन में लिखे स्वतंत्रता दिवस के भाषण को अंग्रेजी में ट्रांसलेट करवा पंजाबी में समझते हुए रोमन में लिखवाकर हिंदी में पढ़ने की प्रेक्टिस भी करनी है। आख़िर में यही कहूंगा कि मुझे कुछ करने के लिए कह कर इज्ज़त देना अलग बात है  और ये जानते हुए कि मैं कुछ नहीं कर सकता और फिर भी कुछ न करने का ताना देना ग़लत बात है। बहुत ग़लत है। चूंकि वो वर्ल्ड बैंक से नहीं मिलती इसलिए मैं हाथ जोड़कर आपसे 'रहम की भीख' मांगता हूं। अपना अनशन वापिस ले लीजिए।

भवदीय,

डॉ. मनमोहन सिंह